पर मनुष्य ने अपनी विचारशीलता के साथ वृक्ष के जीवन की विविध अवस्थाओं का अपने निजी और सार्वजनिक जीवन की भौतिक आवश्यकताओं के विस्तार द्वारा असंख्य रचनाओं के रूप में वृक्ष के उत्पादों एवं स्वरुप का सर्जन किया है।
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यदि उन के तर्कों को पुरी विचारशीलता के साथ परखा जाय तो यह बात स्पस्ट रूप से सामने आजाती है सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर कोई भी निर्णय लेना दुनिया की किसी भी अदालत के लिए संभव नहीं है.